S315 6. सुरत किस अवस्था में रहती है || ध्यान योग में सूरत की स्थिति, In what state does Surat remain?
6. सुरत किस अवस्था में रहती है?
धर्मानुरागिनी प्यारी जनता ! 
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6. "यह सुरत सोई हुई है। मन उससे भिन्न पदार्थ है। मन सोया हुआ है। सुरत असल में सोती नहीं है। अन्तःकरण का संग होने से उसका निजी ज्ञान नहीं है। इसलिये कहते हैं कि सुरत सोई हुई है। हमलोगों की जाग्रत अवस्था सन्तों के विचार में नींद हैं। इस अवस्था में सुरत जगती नहीं है। स्वप्न में भी जगती नहीं। तन्द्रा में भी नहीं जगती है। गहरी नींद में तो क्या जगेगी ? चौथी अवस्था-तुरीय में जगेगी। सुरत अपने आपको भूली हुई है। इसलिये वह सोई हुई है-
मोह निसाँ सब सोवनिहारा। 
देखिय सपन अनेक प्रकारा।।
एहि जग जामिनि जागहिं जोगी। 
परमारथी प्रपंच वियोगी।।"
     प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसी महाराज का  यह प्रवचन भारत की राजधानी दिल्ली में अ० भा० सन्तमत सत्संग के ६२वें वार्षिक महाधिवेशन के अवसर पर दिनांक ३. ३. १९७० ई० को प्रातः काल में हुआ था।   जिसमें उन्होंने उपरोक्त बातें कहा था। महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर के सभी प्रवचनों में कहाँ क्या है? किस प्रवचन में किस प्रश्न का उत्तर है? इसे संक्षिप्त रूप में जानने के लिए  👉यहाँ दवाएँ। 
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| महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर | 
     प्रभु प्रेमियों ! उपरोक्त प्रवचनांश  'महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर"' से ली गई है। अगर आप इस पुस्तक से महान संत सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस  जी महाराज के  अन्य प्रवचनों के बारे में जानना चाहते हैं या इस पुस्तक के बारे में विशेष रूप से जानना चाहते हैं तो    👉 यहां दबाएं।
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