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Reviewed by सत्संग ध्यान
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1/14/2020
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महाभारत में श्रीमद्भगवद्गीता संपूर्णता से है। इसी के आधार पर लोगों ने यथार्थ गीता, गीता यथारूप, गीता पारायण, गीता अध्याय, गीतासार आदि बातों पर चर्चा करते हैं। परन्तु सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज लिखित 'श्रीगीता-योग-प्रकाश' में जो विचार हैं, वह वेदांत-सार-संयुक्त, संतमतानुसार और निजी अनुभव युक्त है। कुछ लोगों ने निज अनुभव के अभाव में श्रीमद्भागवत गीता पर कुछ अनुचित बातें कही हैं। समुचित जानकारी के बिना गीता का संपूर्ण ज्ञान अधूरा ही रहेगा। इन्हीं बातों सहित अन्य चर्चा का वर्णन विषयक व्ल
साधना में सफलता के लिए जरूरी बातें 1. जो लोग दीक्षित हो चुकें है. उनको एक दीक्षित या सत्संगी होने का कार्ड दिया जाएगा. जिसमें दीक्षा रजिस्ट...