संतसेवी जी महाराज का संक्षिप्त परिचय
प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के सानिध्य में रहने वाले संत पूज्यपाद संतसेवी जी महाराज की संक्षिप्त जीवनी एक आश्रम वासी ने लिखी है । उसी जीवनी को हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं। यह कई भागों में होगा जिसका प्रथम भाग यहां प्रकाशित किया जा रहा है।
Brief introduction of Pujya Pad Santsevi Ji Maharaj (जीवनवृत्त)
मनोहर झांकी
सुगठित छरहरा गौर बदन , अद्भुत तेजोवलय विकीर्ण करता हुआ मुखमण्डल , बौद्ध भिक्षु - सा मुण्डित शिर - श्मश्रु , शून्य में कुछ ढूढ़ते हुए से सुदीप्त नेत्रों पर उपनेत्र , गैरिक गंजी - कुरता ; आधी गैरिक धोती कटि पतलून को तरह पहने तथा आधी ओढ़े हुए और २० वीं शताब्दी के महान् सन्त ६७ वर्षीय पूज्यपाद अनन्त श्री - विभूषित महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के बायीं ओर बैठे हुए ये ही हैं ६१ वर्षीय पूज्य बाबा श्री सन्तसेवी जी महाराज , जो महर्षि के ही अन्तरंग संन्यासी सेवक शिष्य हैं और जिन्हें २६ वर्षों की युवावस्था से ही छाया की भाँति उनके साहचर्यः । का सौभाग्य प्राप्त है ।
कायस्थ कुल की महत्त्वपूर्ण देन
भारतभूमि में कायस्थ कुल समय - समय पर ऐसी - ऐसी महान् विभूतियों को उत्पन्न करता रहा है , जिन्होंने भारतीय आध्यात्मिक , सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन को मूलतः झकझोरा है , उन्हें एक नयी चेतना से परिपूरित किया है और एक समुचित दिशा प्रदान की है । स्वामी विवेकानन्द , परम सन्त बाबा देवी साहब , अरविन्द घोष , राय बहादुर शालिग्राम , सन्त धरनी दास , सुभाषचन्द्र बोस , खुदीराम बोस , डॉ . राजेन्द्र प्रसाद , लाल बहादुर शास्त्री , डॉ . चतुर्भुज सहाय ; जयप्रकाश नारायण , महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज आदि कायस्थ कुलोद्भव नर रत्नों ने मानवता की कितनी सेवा की है , किसी से अविदित नहीं है । करुणा - विगलित हो स्वामी विवेकानन्द ने भौतिकवाद से जर्जरित पाश्चात्य देशों में वेदान्त की विजयिनी पताका फहराकर अपनी ज्ञान - ज्योति से सच्चे सुख - शान्ति का पथ - निर्देशित किया , यह किसे ज्ञात नहीं है । पूज्य बाबा श्री सन्तसेवी जी महाराज इसी महत् कुल में जन्म लेकर आज महर्षि के अनमोल आध्यात्मिक ज्ञानप्रसाद को जन - जन के बीच बाँटते हुए उनकी आध्यात्मिकता , सामाजिकता एवं नैतिकता के स्तर को ऊँचा करने तत्पर हैं , सक्रिय हैं ।
बंश , जन्म और बाल्यावस्था
बिहार राज्य के मधेपुरा जिलान्तर्गत सिंहेश्वर थाने में गम्हरिया नामक एक गाँव है , जो मधेपुरा रेलवे स्टेशन से ११ मील उत्तर - पश्चिम है । यह गांव पहले सहर्षा जिले में पड़ता था । यहाँ वर्षों से मैथिल कर्ण कायस्थ कुलभूषण श्री बाबू बलदेव लाल दास / जी रहते आ रहे थे । ये एक जमीन्दार के यहाँ पटवारी का काम करते थे । पीछे यह काम छोड़कर ये घर पर ही रहने लगे थे । ये और इनकी धर्मपत्नी राधादेवी जी कुलगुरु से दीक्षा लेकर पूजा - पाठ करते थे । इनके चार पुत्र हुए और एक पुत्री , जिनके नाम क्रमश : इस प्रकार हैं --- श्री यदुनन्दन लाल दास जी , श्री रघुनन्दन लाल दास जी , श्री भोला लाल दास जी , श्री महावीर लाल दास जी तथा सीतादेवी जी सीतादेवी जी अभी पारिवारिक जीवन बिता रही हैं । श्रीरघुनन्दन लाल दास जी और श्री भोला लाल दास जी किशोरावस्था में ही अविवाहित देहान्तरित हुए । ये दोनों भाई मिडल पास थे और सन्त मत के अनुयायी भी बन गये थे । श्री यदुनन्दन लाल दास जी सन् १ ९ ८१ ई ० के दिसम्बर महीने में ८५ साल की आयु में चल बसे । ये भी मिड्ल पास थे । ये खेती के द्वारा जीविकोपार्जन करते थे । कुछ दिनों तक इन्होंने अध्यापन कार्य भी किया था । महर्षि जी से ये भी दीक्षित थे । इनके एक पुत्र और दो साल की पुत्रियां हैं । पुत्र का नाम श्री परमानन्द लाल दास है , जो अभी छात्र जीवन बिता रहे हैं । श्री बाबू बलदेव लाल दास जी के जो सबसे छोटे पुत्र श्री महावीर लाल दास जी हुए , वे ही आज पूज्यपाद बाबा श्री सन्तसेवी जी महाराज के नाम से विख्यात हो रहे हैं ।
पूज्य बाबा श्री सन्तसेवी जी महाराज का जन्म पितृगृह गम्हरिया में ही २० दिसम्बर , १ ९ २० ई ० को हुआ । भाइयों में सबसे छोटे होने के कारण आप माता - पिता और अपने से बड़े भाइयों के स्नेह-भाजन हुए। सबलोग आप पर ज्यादा ख्याल रखते थे कि आपकी सुख - सुविधा में किसी प्रकार की कमी न आने पाए । बचपन से ही लोगों को आपकी आध्यात्मिक वृत्ति के दर्शन होने लगे थे । आप महादेव जी की पूजा करते थे ; यदा - कदा सिंहेश्वर स्थान , जो आपके गाँव से कुछ दूर पर अवस्थित है और जहाँ नामी शिवमन्दिर है , जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाया करते । श्री बजरंग बली के प्रति भी आपके हृदय में श्रद्धा भक्ति परिपूर्ण थी । प्रतिदिन आप हनुमान चालीसा का पाठ किया करते थे । आज भी आपको हनुमान चालीसा की चौपाइयां और दोहे ज्यों - के - त्यों कंठस्थ हैं । स्कूली शिक्षा अपर प्राइमरी स्कल की शिक्षा आपने अपने गाँव में ही प्राप्त की । उस समय गम्हरिया में मिडल स्कूल नहीं था । अतएव अपने गाँव से एक कोस की दूरी पर अवस्थित बभनी गाँव के मिड्ल स्कूल में पढ़ने के लिये घर से प्रतिदिन आप जाया करते थे । सन् १ ९ ३७ ई ० में आपने मिड्ल की परीक्षा पास की । बाल्यकाल से ही आप तीव्र बुद्धि को हैं । अपनी कक्षा में कभी प्रथम और कभी द्वितीय स्थान प्राप्त करते रहे । हिन्दी और गणित की ओर आपकी विशेष रुचि थी । हिन्दी भाषा के प्रति प्रेम होने के कारण आपकी हिन्दी भाषा आगे चलकर बड़ी अच्छी हो गयी । गणित . प्रेम ने आपको उचित ढंग मे चिन्तन करने की शक्ति प्रदान की । सबसे कम रुचि आपको अँगरेजी भाषा में थी । आपके अग्रज श्री भोला लाल दास जी संगीत के बड़े प्रेमो थे और तबला आदि वाद्य यन्त्र बजाया करते थे । उनको हस्तलिपि बड़ी अच्छी होती थी । आपने उनकी हस्त लिपि का अनुकरण करके अपनी भी लिखावट सुडौल और सुललित बना ली । शैशव काल से ही आपके गले की आवाज तीक्ष्ण , कोमल और माधुर्य पूर्ण है । मिडल स्कूल के जीवन - काल में आपके गाँव में युवकों की एक कीर्तन मण्डली थी , जो प्रति सप्ताह एक दिन कीर्तन का कार्य क्रम रखती थी , इसके आप प्रमुख थे। लोग आपके गले से ही रामायण आदि का पाठ सुनना पसंद करते थे।
जोवन की नश्वरता का बोध
जब आप अपर प्राइमरी पढ़ रहे थे , उसी समय आपके पिता जी देहावसित हो गये ।
मिड्ल की परीक्षा पास करने के बाद आपके जीवन में एकाएक मोड़ आता है । आपने अपने चाचा श्री हरदेवलाल दास जी , अग्रज श्री रघुनन्दन लाल दास जी और श्री भोला लाल दास जी को भी भरे पूरे यौवन में अपने सामने शरीर छोड़ते देखा था । इन आत्मीय जनों के असामयिक निधन देखकर आपको जीवन क्षणभंगुर प्रतीत होने लगा , संसार की नि : सारता आपकी आँखों के सामने नग्न रूप में नृत्य करने अब विरक्ति को भावना रह - रहकर प्रबल होने लगी और आप परिवार का ममत्व त्याग करके किसी साधु - महात्मा की संगति में रहने की चाहना करने लगे । पढ़ाई - लिखाई की ओर से आपका मन उचट गया और यहीं आपकी स्कूली शिक्षा का अन्त हो गया ।
वैराग्य भावना को जागृति , गृह - त्याग और अध्यापन कार्य
आपकी विरक्ति - भावना को आपके बड़े भाई श्री यदुनन्दन लाल दास जी ने भांप लिया । अतएव उन्होंने आपको माया - जाल में फंसाने लगी ।
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प्रभु प्रेमियों ! पूज्य पाद संतसेवी जी महाराज के बारे में आप ने जाना कि ये कितने महान विभूति और जन्मजात साधु पुरुष थे। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। इस पद का पाठ किया गया है उसे सुननेे के लिए निम्नलिखित वीडियो देखें।
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1 पूज्य पाद संतसेवी जी महाराज का परिचय। Brief introduction of Pujya Pad Santsevi Ji Maharaj
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
6/10/2020
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