7. ईश्वर या परमात्मा का क्या नाम है?
प्यारे लोगो !
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7. " मैं तो इस अनादि आदि परमतत्त्व को परमात्मा कहता हूँ और कहता हूँ कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी - अपनी रुचि के अनुसार इस मूल अनादि परमतत्त्व को जिस नाम से पुकारना चाहे , पुकारे । परन्तु यथार्थ में यह अवर्णनीय अनिर्वचनीय है ।
राम स्वरूप तुम्हार , वचन अगोचर बुद्धि पर ।
अविगत अकय अपार , नेति नेति नित निगमकह ॥
-गोस्वामी तुलसीदासजी ।
अविगत अकय अपार , नेति नेति नित निगमकह ॥
-गोस्वामी तुलसीदासजी ।
अविगत गति कछु कहत न आवै ।
ज्यो गूंगहि मीठे फल को रस, अन्तरगत ही भावै ॥
परम स्वाद सबही जु निरन्तर, अमित तोष उपजावै ॥
मन बानी को अगम अगोचर, सो जानै जो पावै ॥
-भक्त सूरदासजी
ज्यो गूंगहि मीठे फल को रस, अन्तरगत ही भावै ॥
परम स्वाद सबही जु निरन्तर, अमित तोष उपजावै ॥
मन बानी को अगम अगोचर, सो जानै जो पावै ॥
-भक्त सूरदासजी
नैना बैन अगोचरी , श्रवणा करनी सार ।
बोलन के सुख कारने , कहिये सिरजनहार ॥
आदि अन्त ताहि नहिं मधे ।
कय्यौ न जाई आहि अकये ।।
अपरंपार उपजै नहिं विनसै ।
जुगति न जानिय कथये कैसे ॥
जस कथिये तस होत नहिं , जस है तैसा सोइ ।
कहत सुनत सुख ऊपजै , अरु परमारथ होइ ।।
--कबीर साहब"
प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसी महाराज का यह प्रवचन ग्राम डोभाघाट (जिला पूर्णियाँ) अ० भा० सं० स० विशेषाधिवेशन के अवसर पर दिनांक ५.१२.१६४६ ई० के सत्संग में हुआ था ।जिसमें उन्होंने उपरोक्त बातें कही थी । महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर के सभी प्रवचनों में कहाँ क्या है? किस प्रवचन में किस प्रश्न का उत्तर है? इसे संक्षिप्त रूप में जानने के लिए 👉यहाँ दवाएँ।
महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर |
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S01 7. ईश्वर या परमात्मा का क्या नाम है? ईश्वर के नाम || What is the real name of god?
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
5/22/2024
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प्रभु-प्रेमी पाठको ! ईश्वर प्राप्ति के संबंध में ही चर्चा करते हुए कुछ टिप्पणी भेजें। श्रीमद्भगवद्गीता पर बहुत सारी भ्रांतियां हैं ।उन सभी पर चर्चा किया जा सकता है।
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