श्री गीता योग प्रकाश- प्रकाशकीय
प्रभु प्रेमियों ! भारत ही नहीं, वरंच विश्व-विख्यात श्रीमद्भागवत गीता भगवान श्री कृष्ण द्वारा गाया हुआ गीत है। इसमें 700 श्लोक हैं तथा सब मिलाकर 9456 शब्द हैं। इतने शब्दों की यह तेजस्विनी पुस्तिका भारत की आध्यात्म-विद्या की सबसे बड़ी देन है। संतमत सत्संग के महान प्रचारक सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के भारती (हिंदी) पुस्तक "श्रीगीता-योग-प्रकाश" इसी पुस्तिका के बारे में फैले हुए सैकड़ों भ्रामक विचारों को दूर करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें सभी श्लोकों के अर्थ और उनकी टीका नहीं है। गीता के सही तात्पर्य को समझने के लिए जो दृष्टिकोण, साधनानुभूति-जन्य ज्ञान, संतवाणी-सम्मत और गुरु ज्ञान से मेल खाते वचन चाहिए, वही इसमें दर्शाया गया है।
इस पोस्ट में इसी पुस्तक के प्रकाशकीय के बारे में जानकारी दी गई है और संपूर्ण गीता ज्ञान का हिंदी भाषियों के लिए क्या महत्व है, इस बारे में बताते हुए कहा गया है कि श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान 5 मिनट में प्राप्त नहीं किया जा सकता बल्कि इसके सही तात्पर्य को समझने के लिए वर्षों के साधन अभ्यास एवं अनुभवजन्य ज्ञान होना अत्यावश्यक है। तो आइए इस बारे में जानकारी प्राप्त करने के पहले इसी अनुभवजन्य ज्ञान को प्राप्त किए महापुरुष सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज का दर्शन करें
गीता ज्ञान पर गंभीर चिंतन मनन करते गुरुदेव और भक्त |
5 मिनट में संपूर्ण गीता ज्ञान का प्रकाश और अनुभूति
श्री गीता योग प्रकाश पुस्तक के प्रकाकीय में प्रकाशक लिखते हैं कि 5 मिनट में गीता ज्ञान प्राप्त करने का मतलब है लोगों को भ्रमित करके आकर्षित करना । श्रीगीताजी का सम्पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति अनुभवजन्य ज्ञान से ही होना अत्यावश्यक है। इसके अभाव में लोग भ्रमित और ठगे जाते रहेंगे । आइए इस बारे में प्रकाशक के वचनों को पढ़ें-
प्रकाशकीय
श्रीमद्भगवद्गीता का सत्य मूल सम्भवतः बहत्तर श्लोकी गीता ही हो , किन्तु सप्त शत श्लोकी गीता ने भी विश्व की अनेक भाषाओं के साहित्यों में जो महत्त्वपूर्ण स्थान पाया है , उसकी समकक्षता की पंक्ति में एक भी साहित्य नहीं ।
गीताज्ञान के उद्गाता भगवान श्रीकृष्ण के ज्ञान में किसी भाँति की कमी थी , ऐसा कथन अति अश्रद्धेय है , किसी भाँति विश्वास - योग्य नहीं । इसलिए मानव - मात्र के कल्याण हेतु अत्यन्त और अनिवार्य आवश्यकता थी कि किसी पूर्ण समाधि - लब्ध महापुरुष की दिव्य वाणी के द्वारा भारत की राष्ट्रभाषा ' भारती ' में इसकी अनुभव - पूर्ण व्याख्या अभिलेखित हो । इस अभिपूर्ति की दिशा में अ ० भा ० सन्तमत - सत्संग प्रकाशन का यह शान्त - स्वच्छ प्रयत्न है ।
गीता - ज्ञान के बौद्धिक व्याख्याकारों - द्वारा यदि कहीं इसके शुभ्रतम प्रकाश में अज्ञान - तमस् का प्रवेश हुआ हो , तो अवश्य ही ' श्रीगीता - योग - प्रकाश ' की अनुभूत वाणी द्वारा उसका संहरण होगा ; इसी अविचल विश्वास के द्वारा यह प्रकाशन - कार्य अनुप्राणित है ।
यह एकादश संस्करण ' शान्ति - सन्देश प्रेस ' , महर्षि मेंहीं आश्रम , कुप्पाघाट , भागलपुर -३ ( बिहार ) से ही प्रकाशित हुआ है , जहाँ नित्य प्रति सन्तवाणियों की निर्मल ज्ञान - वृष्टि हो रही है और होती ही रहती है । इस आध्यात्मिक महारस के केन्द्र हैं - संतमत के अद्यतन आचार्य महर्षि मेंही परमहंसजी महाराज ।
अ ० भा ० सन्तमत - सत्संग - प्रकाशन - समिति विजया दशमी संवत् २०६५ वि ०
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प्रभु प्रेमियों ! गुरु महाराज के भारती पुस्तक "श्रीगीता योग प्रकाश" के इस लेख का पाठ करके आपलोगों ने जाना कि "श्रीगीता-योग-प्रकाश" का प्रकाशन क्यों किया गया है और श्रीमद्भागवत गीता का संपूर्ण ज्ञान 5 मिनट में प्राप्त करने का मतलब है अपने आप को धोखा में रखना। इतनी जानकारी के बाद भी अगर आपके मन में किसी प्रकार का शंका या कोई प्रश्न है, तो हमें कमेंट करें। इस लेख के बारे में अपने इष्ट मित्रों को भी बता दें, जिससे वे भी इससे लाभ उठा सकें। सत्संग ध्यान ब्लॉग का सदस्य बने। इससे आपको आने वाले प्रवचन या पोस्ट की सूचना नि:शुल्क मिलती रहेगी। निम्न वीडियो में उपर्युक्तत लेख का पाठ किया गया है-
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G00 गीता महात्म्य ।। 5 मिनट में संपूर्ण गीता ज्ञान का प्रकाश और अनुभूति ।। श्रीगीता के प्रकाशकीय से
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
8/25/2018
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कोई टिप्पणी नहीं:
प्रभु-प्रेमी पाठको ! ईश्वर प्राप्ति के संबंध में ही चर्चा करते हुए कुछ टिप्पणी भेजें। श्रीमद्भगवद्गीता पर बहुत सारी भ्रांतियां हैं ।उन सभी पर चर्चा किया जा सकता है।
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