S209(क) 3. राजा युधिष्ठिर को वैराग्य क्यों हुआ || गुप्त धन प्राप्ति के उपाय || Ways to get secret wealth - SatsangdhyanGeeta

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S209(क) 3. राजा युधिष्ठिर को वैराग्य क्यों हुआ || गुप्त धन प्राप्ति के उपाय || Ways to get secret wealth

3. राजा युधिष्ठिर को वैराग्य क्यों हुआ? 

धर्मानुरागिनी प्यारी जनता !

महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर 209
महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर 209

     "आपलोगों को मालूम है कि अपने देश में द्वापर युग का अंत होते-होते एक बड़ा भारी युद्ध हुआ था और भरतवंशी में युद्ध हुआ था। भरत- वंशी दो भागों में बँटे थे-कौरव और पाण्डव।

     भरतवंश में कुरु नाम का एक राजा हुआ था; इसीलिए कौरव । और पाण्डवों के पिता का नाम पाण्डु था, इसीलिए पाण्डव । किंतु दोनों ही कौरव थे और भरतवंशीय थे। वह युद्ध अट्ठारह दिनों में समाप्त हुआ था। वह बड़ा भयंकर गृहयुद्ध था। पाण्डव जीत गए और कौरव सब मारे गए। सभी चचेरे भाई थे। और भी जो युद्ध करने आए थे, वे कोई उनके मामा, कोई चाचा आदि होते थे। उस भयंकर युद्ध में सब प्रिय और बड़े लोग एक दूसरे के द्वारा मारे गए। बच गए पाँच भाई पाण्डव। पाण्डवों में जो सबसे बड़े थे, वे थे युधिष्ठिर। 

उनके मन में हुआ कि अब हम राज्य करके क्या करेंगे? जो हमारे चाचा थे, भाई थे, अपने लड़के थे, भतीजे थे; सभी मारे गए अब राज्य किसके लिए करें। यह कहकर वे बहुत रोते थे कि मैंने बहुत पाप किए। लोग कहते कि तुम क्षत्रियों के धर्म के अनुसार युद्ध किए हो, मारे हो, तुम ऐसा क्यों कहते हो कि पाप हो गया है। फिर भी लोगों की बातों से इनका मन नहीं मानता था। व्यास और कृष्ण ने भी समझाया, लेकिन वे समझे नहीं। 

गुप्त धन प्राप्ति के उपाय 

     अंत में व्यासदेवजी ने कहा कि तू पाप-पाप क्यों बोल रहा है, यज्ञ करो-अश्वमेध यज्ञ करो। युधिष्ठिर ने कहा कि अश्वमेध यज्ञ के लिए तो बहुत धन चाहिए, मेरे पास धन कहाँ? हमारे आश्रित जो राजे लोग थे, उनके कुछ धन लेकर मैंने खर्च किया और कुछ दुर्योधन ने लेकर खर्च किया। उनसे धन माँगूँ, तो कहाँ से वे देंगे और भी जो धन हस्तिनापुर का था, उसको दुर्योधन ने खर्च किया, हमलोग तो जंगल में थे। व्यासदेव ने कहा कि पहाड़ों में बहुत धन है, मरुत राजा ने यज्ञ किया था और उन्होंने इतना धन दान लोगों को दिया था कि लोग न ले जा सके, उसे पहाड़ में गाड़ दिया। मैं रास्ता और अनुष्ठान बताता हूँ, वहाँ जाओ, धन ले आओ और यज्ञ करो। युधिष्ठिर ने व्यासदेव की बात में विश्वास किया, उनके बताए हुए मार्ग से गए, अनुष्ठान कर धन प्राप्त किए और धन लाकर अश्वमेध यज्ञ किया।"


( महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर, प्रवचन नंबर 209, मुरादाबाद १२.४.१९६५ ई० ) 

     प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसी महाराज का यह प्रवचन मुरादाबाद स्थित श्रीसंतमत सत्संग मंदिर कानून गोयान मुहल्ले में दिनांक १२.४.१९६५ ई० को अपराह्नकालीन सत्संग में हुआ था।  जिसमें उन्होंने उपरोक्त बातें कहा था। महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर के सभी प्रवचनों में कहाँ क्या है? किस प्रवचन में किस प्रश्न का उत्तर है? इसे संक्षिप्त रूप में जानने के लिए  👉यहाँ दवाएँ। 



सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के विविध विषयों पर विभिन्न स्थानों में दिए गए प्रवचनों का संग्रहनीय ग्रंथ महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर
महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर
     प्रभु प्रेमियों ! उपरोक्त प्रवचनांश  'महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर"' से ली गई है। अगर आप इस पुस्तक से महान संत सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस  जी महाराज के  अन्य प्रवचनों के बारे में जानना चाहते हैं या इस पुस्तक के बारे में विशेष रूप से जानना चाहते हैं तो    👉 यहां दबाएं।

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S209(क) 3. राजा युधिष्ठिर को वैराग्य क्यों हुआ || गुप्त धन प्राप्ति के उपाय || Ways to get secret wealth S209(क)  3. राजा युधिष्ठिर को वैराग्य क्यों  हुआ  ||  गुप्त धन प्राप्ति के उपाय  || Ways to get secret wealth Reviewed by सत्संग ध्यान on 5/12/2024 Rating: 5

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