S209(ग) 2. दमशील कैसे होते हैं || नवधा भक्ति में छठी भक्ति क्या है? What is the sixth devotion in Navdha Bhakti? - SatsangdhyanGeeta

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S209(ग) 2. दमशील कैसे होते हैं || नवधा भक्ति में छठी भक्ति क्या है? What is the sixth devotion in Navdha Bhakti?

2. दमशील कैसे होते हैं? 


 छठ दम सील विरति बहु कर्मा। निरत निरंतर सज्जन धर्मा।।

 धर्मानुरागिनी प्यारी जनता !

दमशीलता का अभ्यास करते हुए गुरु महाराज महर्षि मेंहीं,
दमशीलता का अभ्यास
     "अर्थात् इन्द्रियों को रोकने का स्वभाव बनाना, बहुत से कर्मों को करने से विरक्त होना और सदा सज्जनों के धर्म में लगा रहना, छठी भक्ति है। झूठ, चोरी, नशा, हिंसा और व्यभिचार; इन पंच पापों में बरतना सज्जनों के धर्म में बरतना नहीं है। पंच पापों से बचकर बरतना सज्जनों का धर्म है। दम= इन्द्रियनिग्रह। इन्द्रियों को काबू में रखने का स्वभाववाला बनना दमशील होना है। इन्द्रियों को काबू में कैसे करोगे? लोग कहते हैं कि विषयों की ओर से मन को विचार से हटाओ। ऐसा भी होता है, लेकिन विचार स्थिर नहीं रहता, बुद्धि स्थिर नहीं रहती है। इसलिए आदमी डिग जाता है। इसको छोड़ते भी नहीं बनता है। विचार भी रखो और देखो कि विषयों में इन्द्रियाँ कैसे जाती हैं? इन्द्रियों के घाटों में मन की धारा रहती है, तब इन्द्रियाँ विषयों को ग्रहण करती हैं। इसके लिए जाग्रत और स्वप्न की अवस्था प्रत्यक्ष प्रमाण है। मन की धारों को समेटो। मन को समेटने का साधन करने से और विचार द्वारा मन को रोकने से सूक्ष्मता में गति होगी। मन का इतना सिमटाव हो कि एकविन्दु हो जाए।
     यह सुगम साधन है। दृष्टियोग से एकविन्दुता होती है। एकविन्दुता से पूर्ण सिमटाव होता है और तब प्रत्यक्ष होता है- 'उलटि देखो घट में जोति पसार।' और बाबा नानक ने कहा- 'अंतरि जोति भइ गुरु साखी चीने राम करंमा।' यह जो साधन करता है, इन्द्रियाँ काबू में आती हैं। एकविन्दुता होती है। केन्द्र में केन्द्रित होता है। वहाँ का रस साधक को बाह्य विषय रस से विशेष मनोहारी हो जाता है। बाह्य विषय रस कम हो जाता है। इसी तरह दमशील होना होता है। इन्द्रियों को विचार से भी रोको और साधन भी करो। केवल विचार से गिर भी सकता है।"


 
    प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसी महाराज का यह प्रवचन मुरादाबाद स्थित श्रीसंतमत सत्संग मंदिर कानून गोयान मुहल्ले में दिनांक १२.४.१९६५ ई० को अपराह्नकालीन सत्संग में हुआ था।  जिसमें उन्होंने उपरोक्त बातें कहा था। महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर के सभी प्रवचनों में कहाँ क्या है? किस प्रवचन में किस प्रश्न का उत्तर है? इसे संक्षिप्त रूप में जानने के लिए  👉यहाँ दवाएँ। 



सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के विविध विषयों पर विभिन्न स्थानों में दिए गए प्रवचनों का संग्रहनीय ग्रंथ महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर
महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर
     प्रभु प्रेमियों ! उपरोक्त प्रवचनांश  'महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर"' से ली गई है। अगर आप इस पुस्तक से महान संत सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस  जी महाराज के  अन्य प्रवचनों के बारे में जानना चाहते हैं या इस पुस्तक के बारे में विशेष रूप से जानना चाहते हैं तो    👉 यहां दबाएं।

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S209(ग) 2. दमशील कैसे होते हैं || नवधा भक्ति में छठी भक्ति क्या है? What is the sixth devotion in Navdha Bhakti?  S209(ग)  2. दमशील कैसे होते हैं  ||  नवधा भक्ति में छठी भक्ति क्या है?  What is the sixth devotion in Navdha Bhakti? Reviewed by सत्संग ध्यान on 5/15/2024 Rating: 5

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