6. ईश्वर-दर्शन का सुगम से सुगम रास्ता क्या है?
धर्मानुरागिनी प्यारी जनता !
"सुगम से सुगम काम क्या है?
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| ईश्वर प्राप्ति के सरलतम साधन |
प्रथम भगति सन्तन्ह कर संगा। दूसरि रति मम कथा प्रसंगा ।। गुरुपद पंकज सेवा, तीसरि भगति अमान ।
चौथी भगति मम गुन गन, करइ कपट तजि गान ।।
मंत्र जाप मम दृढ़ विश्वासा। पंचम भजन सो वेद प्रकासा ।।
छठ दम सील विरति बहु कर्मा। निरत निरंतर सज्जन धर्मा ।। सातवँ सम मोहि मय जग देखा। मोर्ते सन्त अधिक करि लेखा ।। आठवँ यथा लाभ सन्तोषा। सपनहुँ नहिं देखइ पर दोषा।।
नवम सरल सब सन छल हीना। मम भरोस हिय हरष न दीना ।। नव महँ एकउ जिन्हके होई। नारि पुरुष सचराचर कोई ।।
सोइ अतिशय प्रिय भामिनी मोरे। सकल प्रकार भगति दृढ़ तौरे।।"
7. नवधा भक्ति की पहली भक्ति कैसे करें?
"पहली भक्ति संतों का संग है। लेकिन यह बात भी है कि-
नित प्रति दरसन साधु के, औ साधुन के संग।
तुलसी काहि वियोग तें, नहिं लागा हरि रंग ।।
इसके उत्तर में कहा है-
मन तो रमे संसार में, तन साधुन के संग।
तुलसी याहि वियोग तें, नहिं लागा हरि रंग ।।
और-
ऐसी दिवानी दुनियाँ, भक्ति भाव नहिं बूझै जी ।।
कोई आवै तो बेटा मांगै, यही गुसाई दीजै जी ।।
कोई आवै दुख का मारा,हम पर किरपा कीजै जी ।।
कोई आवै तो दौलत मांगै, भेंट रुपैया लीजै जी।।
कोई करावै व्याह सगाई, सुनत गुसाई रीझै जी।।
साँचे का कोई गाहक नाहीं, झूठे जक्त पतीजै जी।।
कहै कबीर सुनो भाइ साधो, अंधों को क्या कीजै जी।। "
प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसी महाराज का यह प्रवचन मुरादाबाद स्थित श्रीसंतमत सत्संग मंदिर कानून गोयान मुहल्ले में दिनांक १२.४.१९६५ ई० को अपराह्नकालीन सत्संग में हुआ था। जिसमें उन्होंने उपरोक्त बातें कहा था। महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर के सभी प्रवचनों में कहाँ क्या है? किस प्रवचन में किस प्रश्न का उत्तर है? इसे संक्षिप्त रूप में जानने के लिए 👉यहाँ दवाएँ।
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| महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर |
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S209(ख) 6. ईश्वर-दर्शन का सुगम से सुगम रास्ता क्या है? 7. नवधा भक्ति की पहली भक्ति कैसे करें?
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
5/14/2024
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प्रभु-प्रेमी पाठको ! ईश्वर प्राप्ति के संबंध में ही चर्चा करते हुए कुछ टिप्पणी भेजें। श्रीमद्भगवद्गीता पर बहुत सारी भ्रांतियां हैं ।उन सभी पर चर्चा किया जा सकता है।
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