S209(क) 7 ईश्वर सगुण और निर्गुण दो तरह का क्यों कहा जाता है?/What is Nirguna and Saguna God? - SatsangdhyanGeeta

Ad1

Ad2

S209(क) 7 ईश्वर सगुण और निर्गुण दो तरह का क्यों कहा जाता है?/What is Nirguna and Saguna God?

7. ईश्वर सगुण और निर्गुण दो तरह का क्यों कहा जाता है?

धर्मानुरागिनी प्यारी जनता !

सगुण और निर्गुण ईश्वर
सगुण और निर्गुण ईश्वर

     "लोग ईश्वर को सगुण और निर्गुण दोनों रूपों में मानते हैं। निर्गुण सनातन रूप है और सगुण पीछे का। एक जगह गोस्वामी तुलसीदासजी ने कहा है- 

भगत  हेतु  भगवान प्रभु,  रामधरेउ तनु भूप ।
किये चरित पावन परम, प्राकृत नर अनुरूप ।।
यथा अनेकन  वेष  धरि, नृत्य करइ नट कोइ । 
सोइ सोइ भाव देखावइ, आपु न होइ न सोइ ।। 

     उन्होंने निश्चित बात बता दी कि त्रयगुण रूप आवरण के धारण करने से वह त्रयगुण नहीं हो गया। अपने शरीर पर कितने भी कपड़े पहन लो, तुम्हारा शरीर भिन्न ही और कपड़ा भिन्न ही रहता है। इसी तरह चेतन आत्मा, चेतन आत्मा ही रहती है; शरीर, शरीर ही। चेतन आत्मा ज्ञानस्वरूप है और शरीर जड़-अज्ञानमय है। आवरण धारण करनेवाला वही हो जाता है, ऐसी बात नहीं। सृष्टि में ईश्वर का व्यापक विराटरूप सगुण है। लोगों ने विराटरूप में अनेक लोक-लोकान्तरों के दर्शन किए। अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ने विराटरूप दिखाया और जब नारद को विराटरूप का दर्शन दिया, तब कहा कि 'तू जो मेरा रूप देख रहे हो, यह मेरी उत्पन्न की हुई माया है।' और श्रीमद्भगवद्गीता ७/२४ में भी कहा कि 'मैं अव्यक्त हूँ और बुद्धिहीन लोग मुझे व्यक्त मानते हैं।' 

अव्यक्तं व्यक्तिमापन्नं मन्यन्ते मामबुद्धयः ।

     असल में मूल स्वरूप त्रयगुणातीत, अज और अविनाशी है। और सब चीजें क्षणभंगुर और नाशवान हैं। यह सब समझकर जब ईश्वर-दर्शन के लिए इच्छा हो, तो उसको पाने की आसक्ति होनी चाहिए। व्यास के बताए अनुकूल युधिष्ठिर को धन का पता लगा, उस धन में उसकी आसक्ति हुई और उधर उसका प्रेम प्रवाहित हुआ। इसी तरह संतों के बताए अनुकूल ईश्वर के स्वरूप को जाने, आसक्ति लावे, उस ओर प्रेम प्रवाहित करे और ईश्वर की भक्ति करे।

     भक्ति का अर्थ है सेवा। जिसको जिस चीज की आवश्यकता हो, उसको वह चीज दो, तो उसकी सेवा होती है। ईश्वर को क्या कमी है? ईश्वर से मिलने की इच्छा रखो, यही भक्ति है। संतों ने ईश्वर का जो ज्ञान दिया है, उस ओर हमारी बुद्धि प्रवाहित हो। दादू दयालजी ईश्वर- स्वरूप को बताते हैं-

दादू  जानैन  कोई,  संतन की  गति गोई।। टेक ।। 
अविगत अंत अंत अंतर पट, अगम अगाध अगोई।
सुन्नी सुन्न सुन्न के पारा,  अगुन  सगुन  नहिं दोई।। 

     वह ईश्वर कहाँ मिलते हैं? तो कहा- 'अविगत अंत अंत अंतर पट' अर्थात् वह सर्वव्यापी परमात्मा अपने अंदर के अंतिम पट को पार करने पर मिलेंगे। अकथ होने के कारण सूरदासजी ने भी कहा है-

अविगत गति कछु कहत न आवै। 
ज्यों गूँगहिं मीठे फल को रस, अन्तरगत  ही  भावै।। 
परम स्वाद सबही जू निरन्तर, अमित तोष उपजावै। 
मन वाणी को अगम अगोचर,  सो  जानै   जो पावै।। 
रूप रेख गुन जाति जुगुति बिनु, निरालंब मन चक्रित धावै । 
सब विधि अगम विचारहि तातें, 'सूर' सगुन लीला पद गाँवै।।"

(महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर, प्रवचन नंबर 209, मुरादाबाद १२.४.१९६५ ई० ) 

     प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसी महाराज का यह प्रवचन मुरादाबाद स्थित श्रीसंतमत सत्संग मंदिर कानून गोयान मुहल्ले में दिनांक १२.४.१९६५ ई० को अपराह्नकालीन सत्संग में हुआ था।  जिसमें उन्होंने उपरोक्त बातें कहें थे। महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर के सभी प्रवचनों में कहाँ क्या है? किस प्रवचन में किस प्रश्न का उत्तर है? इसे संक्षिप्त रूप में जानने के लिए  👉यहाँ दवाएँ। 



सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के विविध विषयों पर विभिन्न स्थानों में दिए गए प्रवचनों का संग्रहनीय ग्रंथ महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर
महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर
     प्रभु प्रेमियों ! उपरोक्त प्रवचनांश  'महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर"' से ली गई है। अगर आप इस पुस्तक से महान संत सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस  जी महाराज के  अन्य प्रवचनों के बारे में जानना चाहते हैं या इस पुस्तक के बारे में विशेष रूप से जानना चाहते हैं तो    👉 यहां दबाएं।

सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज की पुस्तकें मुफ्त में पाने के लिए  शर्तों के बारे में जानने के लिए.  👉 यहाँ दवाए

--×--
S209(क) 7 ईश्वर सगुण और निर्गुण दो तरह का क्यों कहा जाता है?/What is Nirguna and Saguna God? S209(क)  7 ईश्वर सगुण और निर्गुण दो तरह का क्यों कहा जाता है?/What is Nirguna and Saguna God? Reviewed by सत्संग ध्यान on 5/13/2024 Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

प्रभु-प्रेमी पाठको ! ईश्वर प्राप्ति के संबंध में ही चर्चा करते हुए कुछ टिप्पणी भेजें। श्रीमद्भगवद्गीता पर बहुत सारी भ्रांतियां हैं ।उन सभी पर चर्चा किया जा सकता है।
प्लीज नोट इंटर इन कमेंट बॉक्स स्मैम लिंक

Ad

Blogger द्वारा संचालित.