11. संसार में कैसे रहना चाहिए?
प्यारे लोगो !
महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर 245 |
11. "उपनिषद् के पाठ में आया कि भवसागर को पार करने के लिए सूक्ष्म मार्ग का अवलम्बन करो। स्थूल रास्ते पर चलकर संसार भर ही रहोगे, बाहर नहीं जा सकते। संसार का मार्ग तो यह है कि यहाँ से कलकत्ता जाओ और कलकत्ता से यहाँ आओ। यह स्थूल मार्ग है। दूसरा मार्ग है कि शरीर छूटने के बाद-संसार से जाने के बाद आराम से रहना हो। इसके लिए जो उत्तम उत्तम कर्म हैं, स्थूल दर्जे के ही हैं। फिर भी उत्तम हैं, उनको करो। सूक्ष्म मार्ग बहुत उत्तम है। "
प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसी महाराज का यह प्रवचन नालन्दा जिलान्तर्गत भगवान महावीर और भगवान बुद्ध के विहार स्थल राजगीर में ५८वाँ अखिल भारतीय संतमत सत्संग का विशेषाधिवेशन दिनांक २८.१०.१९६६ ई० के प्रातःकालीन सत्संग में हुआ था।जिसमें उन्होंने उपरोक्त बातें कही थी । महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर के सभी प्रवचनों में कहाँ क्या है? किस प्रवचन में किस प्रश्न का उत्तर है? इसे संक्षिप्त रूप में जानने के लिए 👉यहाँ दवाएँ।
महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर |
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S245, 11. संसार में कैसे रहना चाहिए || मनुष्य को कैसे रहना चाहिए? How should a man live?
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
5/24/2024
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