S245, 9. गुरु गोविन्द सिंह बेटे के मरने पर भी शोक क्यों नहीं किए || Guru Gobind Singh's sons killed? - SatsangdhyanGeeta

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S245, 9. गुरु गोविन्द सिंह बेटे के मरने पर भी शोक क्यों नहीं किए || Guru Gobind Singh's sons killed?

9. गुरु गोविन्द सिंह बेटे के मरने पर भी शोक क्यों नहीं किए?

प्यारे लोगो ! 


गूरू गोविन्द सिंह जी और संत महात्मा
गूरू गोविन्द सिंह जी और संत महात्मा

    9. "समर्थ रामदास ऐसे थे कि वे शिवाजी राव को चलाते थे। राजा को भी अपनी राय देते थे। शिवाजी ने कहा कि मैं तप करूँगा। समर्थ ने कहा- मैं तुम्हारा तप करता हूँ, तुम तलवार लो। गुरु गोविन्द सिंहजी महाराज ने दोनों काम करके दिखाया-भजन भी, तलवार भी। गुरु गोविन्द सिंहजी महाराज कभी अनीति में नहीं गुजरे। बेटे मर गए, लेकिन उन्होंने शोक नहीं किया। उन्होंने समय को देखा। संसार में युद्ध-ही-युद्ध होता है।"



 
    प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसी महाराज का यह प्रवचन नालन्दा जिलान्तर्गत भगवान महावीर और भगवान बुद्ध के विहार स्थल राजगीर में ५८वाँ अखिल भारतीय संतमत सत्संग का विशेषाधिवेशन दिनांक २८.१०.१९६६ ई० के प्रातःकालीन सत्संग में हुआ थाजिसमें उन्होंने उपरोक्त बातें कही थी । महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर के सभी प्रवचनों में कहाँ क्या है? किस प्रवचन में किस प्रश्न का उत्तर है? इसे संक्षिप्त रूप में जानने के लिए  👉यहाँ दवाएँ। 



सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के विविध विषयों पर विभिन्न स्थानों में दिए गए प्रवचनों का संग्रहनीय ग्रंथ महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर
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