4. भगवान् राम का उपदेश क्या है?
धर्मानुरागिनी प्यारी जनता !
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4. "भगवान राम ने नर-शरीर धारण कर बहुत विलक्षण सब काम किए। उनका उपदेश सब काल के लिए बहुत उपयोगी है। उन्होंने सबसे पहले उपदेश दिया कि-
'बड़े भाग मानुष तनु पावा। सुर दुर्लभ सब ग्रंथहिं गावा ।।' (रामचरिमानस, उत्तरकाण्ड)
मनुष्य-तन पाना बड़ा भाग्य है। शूद्र, ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य सबका बड़ा भाग्य है। जिस इन्द्रिय से जो काम होना चाहिए, वह सबको मौजूद है। जो नीच है, वह कान से नहीं सुनकर पैर से नहीं सुनता है। कोई चीज खाओ, सबको एक ही स्वाद मालूम होगा। सबको भगवान ने बनाया है। गोस्वामी तुलसीदासजी ने भगवान की भक्ति की, पूज्य हो गए। उसी तरह कबीर साहब, रैदास आदि भी भजन करके पूज्य होग गएं। आज रैदासजी महाराज कहते हैं।
सो कुल धन्य उमा सुनु, जगत पूज्य सुपुनीत ।
श्री रघुवीर परायण, जेहि नर उपज विनीत ।।
- गोस्वामी तुलसीदासजी"
प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसी महाराज का यह प्रवचन नालन्दा जिलान्तर्गत भगवान महावीर और भगवान बुद्ध के विहार स्थल राजगीर में ५८वाँ अखिल भारतीय संतमत सत्संग का विशेषाधिवेशन दिनांक २८.१०.१९६६ ई० के अपराह्नकालीन सत्संग में हुआ था। जिसमें उन्होंने उपरोक्त बातें कही थी । महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर के सभी प्रवचनों में कहाँ क्या है? किस प्रवचन में किस प्रश्न का उत्तर है? इसे संक्षिप्त रूप में जानने के लिए 👉यहाँ दवाएँ।
महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर |
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S246, 4. भगवान् राम का उपदेश क्या है || भगवान् राम हमें क्या सिखाते हैं ? What does Rama teach us?
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
5/26/2024
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