S315 1. किस आधार पर सत्संग करने की गुरु आज्ञा है? What should be told in satsang? - SatsangdhyanGeeta

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S315 1. किस आधार पर सत्संग करने की गुरु आज्ञा है? What should be told in satsang?

 1. किस आधार पर सत्संग करने की गुरु आज्ञा है?  

धर्मानुरागिनी प्यारी जनता !

संतवाणी का पाठ सुनते हुए गुरुदेव महर्षि मेंहीं परमहंसजी महाराज
संतवाणी का पाठ सुनते हुए गुरुदेव

      1. "जैसा कि आपलोग दो दिनों से सुन रहे हैं, ईश्वर-भक्ति का प्रचार-  गुरु-आदेश से मैं कर रहा हूँ। यह जो सत्संग का प्रचार है वा ईश्वर-भक्ति का प्रचार है, इसका अवलम्बन खासकर संतों की वाणी है। गुरुदेव ने कहा कि सन्तों की वाणी का अवलम्ब लेकर सत्संग करो। इसलिये सन्तवाणी का पाठ करता हूँ और कराता हूँ। सन्तवाणी में बहुत गम्भीरता है। ऊपर-ऊपर सरलता मालूम पड़ती है। गुरु की कृपा से उस गंभीरता को थोड़ा-थोड़ा जाना है। उस गम्भीरता का थोड़ा-थोड़ा प्रकाश करूँ, इससे आपको लाभ हो, इसलिये सन्तों की वाणी का पाठ करता हूँ और समझाता हूँ।"

     प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसी महाराज का  यह प्रवचन भारत की राजधानी दिल्ली में अ० भा० सन्तमत सत्संग के ६२वें वार्षिक महाधिवेशन के अवसर पर दिनांक ३. ३. १९७० ई० को प्रातः काल में हुआ था।   जिसमें उन्होंने उपरोक्त बातें कहा था। महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर के सभी प्रवचनों में कहाँ क्या है? किस प्रवचन में किस प्रश्न का उत्तर है? इसे संक्षिप्त रूप में जानने के लिए  👉यहाँ दवाएँ। 



सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के विविध विषयों पर विभिन्न स्थानों में दिए गए प्रवचनों का संग्रहनीय ग्रंथ महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर
महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर
     प्रभु प्रेमियों ! उपरोक्त प्रवचनांश  'महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर"' से ली गई है। अगर आप इस पुस्तक से महान संत सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस  जी महाराज के  अन्य प्रवचनों के बारे में जानना चाहते हैं या इस पुस्तक के बारे में विशेष रूप से जानना चाहते हैं तो    👉 यहां दबाएं।

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