10. साधना में तरक्की कैसे होती है?
धर्मानुरागिनी प्यारी जनता !
10. "अन्तर की ज्योति गुरु की गवाही हो गई। करनेवाला ठीक-ठीक करे। करने की युक्ति ठीक-ठीक हो, तो अवश्य होगा। ऑक्सीजन और हाईड्रोजन को मिलाकर देखो, पानी होता है कि नहीं? उसी तरह इस साधना को करके देखो, होता है कि नहीं। गुरु नानकदेवजी शीघ्रतापूर्वक दौड़कर तारे पर चढ़ गए। तारा क्या है? तुलसी साहब कहते हैं-
श्याम कंज लीला गिरि सोई।
तिल परिमान जान जन कोई।।
वहाँ बहुत लीलाएँ होती हैं। वह पहाड़ कैसा है? तो कहा- 'तिल परिमान जान जन कोई ।' और भी कहा-
श्रुति ठहरानी रहे अकासा।
तिल खिड़की में निसदिन वासा ।।
गगन द्वार दीसै एक तारा।
अनहद नाद सुनै झनकारा ।।
इस ध्यान-साधना का अभ्यास करके देखो, होता है कि नहीं? करो नहीं, केवल गप हाँको तो क्या होगा? तारा क्या है?
तेजो विन्दुः परं ध्यानं विश्वात्म हृदि संस्थितम् ।
- तेजोविन्दूपनिषद्
इस ध्यान को जानते हो? नहीं जानते हो, तो जानकार से जानकर करो, होता है कि नहीं?"
प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसी महाराज का यह प्रवचन भारत की राजधानी दिल्ली में अ० भा० सन्तमत सत्संग के ६२वें वार्षिक महाधिवेशन के अवसर पर दिनांक ३. ३. १९७० ई० को प्रातः काल में हुआ था। जिसमें उन्होंने उपरोक्त बातें कहा था। महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर के सभी प्रवचनों में कहाँ क्या है? किस प्रवचन में किस प्रश्न का उत्तर है? इसे संक्षिप्त रूप में जानने के लिए 👉यहाँ दवाएँ।
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महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर |
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S315 10. साधना में तरक्की कैसे होती है? When is sadhana successful? ध्यानयोग
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
6/01/2024
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