S233_01. महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर के प्रवचन नंबर 233 में क्या है? इसमें किन-किन विषयों पर चर्चा की गई है?
महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर प्रवचन नंबर 233
प्रभु प्रेमियों ! महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर प्रवचन नंबर 233 बताया गया है कि भौतिक विज्ञान बाहरी दुनिया (पदार्थ, ऊर्जा, ब्रह्मांड) का अध्ययन करता है और तकनीकी प्रगति देता है, जबकि अध्यात्म विज्ञान आंतरिक दुनिया (चेतना, आत्मा, जीवन का अर्थ) का अध्ययन करता है। हमारे धर्म शास्त्रों से लेकर आधुनिक युग के संत महात्माओं के द्वारा सुनने समझने से यह अवश्य पता लग गया है कि ईश्वर हैं और वे निर्गुण और सगुण दोनों रूपों में देखे जाते हैं, पहचाने जाते हैं । सगुन रूप सबके लिए सुलभ है, पर निर्गुण स्वरुप का दर्शन करने के लिए योग साधना करनी पड़ती है। इसके साथ ही इस प्रवचन में निम्नलिखित बातों की भी चर्चा की गई है-
भौतिक विज्ञान और अध्यात्म विज्ञान की देंन मैं सर्वश्रेष्ठ कौन है?
प्रभु प्रेमियों ! इस प्रवचन में है-- 1. इस प्रवचन में राम, ईश्वर और विज्ञान की बातें कही गई है। 2. राम का स्वरूप कैसा है? 3. भगवान के स्थूल रूप और सूक्ष्म रूप में क्या विशेषता है? 4. गोचर पदार्थ किसे कहते हैं? 5. ईश्वर दर्शन की पूर्णता कब होती है? 6. आंख से कैसे-कैसे भगवान का दर्शन होता है? 7. भगवान का असली दर्शन कैसे होता है? 8. मरने पर शरीर से क्या-क्या निकलता है? 9. विज्ञान की ओर लोग क्यों झुक रहे हैं? 10. विज्ञान ने हमें क्या दिया है? 11. अध्यात्म विज्ञान हमें क्या देता है? इत्यादि बातें। यदि आपको इन बातों में रुचि है तो इस प्रवचन को पूरा मनन करते हुए पढ़ें-
नोट- उपर्युक्त प्रवचन में हेडलाइन की चर्चा, सत्संग, ध्यान, सद्गगुरु, ईश्वर, अध्यात्मिक विचार एवं अन्य विचार से संबंधित बातें उपर्युक्त लेख में उपर्युक्त विषयों के रंगानुसार रंग में रंगे है।
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इस प्रवचन का पाठ करके आप समझ पाएंगे कि भौतिक विज्ञान उन्नति के साथ-साथ सर्वनाश का भी मुख्य कारण है। जबकि आध्यात्मिक विज्ञान इहलोक और परलोक के साथ-साथ सभी को समता एवं हार्दिक प्रसन्नता प्रदान करता है।
प्रभु प्रेमियों ! "महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर" पुस्तक अध्यात्म-ज्ञान का एक अनमोल भंडार है, जिसमें ब्रह्मलीन सद्गुरुदेव महर्षि मेही परमहंस जी महाराज के दुर्लभ प्रवचनों और उपदेशों का संग्रह है। यह ग्रंथ पाठकों को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने और जीवन में शांति व मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है। यह पुस्तक सन्तमत के सिद्धांतों पर आधारित है और इसमें ईश्वर की स्थिति, मुक्ति की साधना, और स्थूल से सूक्ष्म में प्रवेश के द्वार जैसे गूढ़ विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई है।इस पुस्तक में महर्षि जी के उपदेशों को इतनी सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है कि सामान्य पाठक भी अध्यात्म-ज्ञान की सही जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकता है। उपरोक्त प्रवचन 'महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर"' से ली गई है। अगर आप इस पुस्तक से महान संत सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज के अन्य प्रवचनों के बारे में जानना हैं या इस पुस्तक के बारे में विशेष रूप से जानना चाहते हैं तो 👉 यहाँ दवाएँ।
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Reviewed by सत्संग ध्यान
on
12/30/2025
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प्रभु-प्रेमी पाठको ! ईश्वर प्राप्ति के संबंध में ही चर्चा करते हुए कुछ टिप्पणी भेजें। श्रीमद्भगवद्गीता पर बहुत सारी भ्रांतियां हैं ।उन सभी पर चर्चा किया जा सकता है।
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