1. संतों की दृष्टि में ईश्वर कैसा है?
प्यारे लोगो !
प्रवचन करते गुरुदेव |
1. "संतमत में ईश्वर की स्थिति का बहुत दृढ़ता के साथ विश्वास है ; परन्तु उस ईश्वर को इन्द्रियों से जानने योग्य नहीं बताया गया है । वह स्वरूपतः अनादि और अनंत है , जैसा कि संत सुन्दरदासजी ने कहा है-
व्योम को व्योम अनंत अखण्डित ,
आदि न अन्त सुमध्य कहाँ है ।"
आदि न अन्त सुमध्य कहाँ है ।"
प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसी महाराज का यह प्रवचन ग्राम डोभाघाट (जिला पूर्णियाँ) अ० भा० सं० स० विशेषाधिवेशन के अवसर पर दिनांक ५.१२.१६४६ ई० के सत्संग में हुआ था ।जिसमें उन्होंने उपरोक्त बातें कही थी । महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर के सभी प्रवचनों में कहाँ क्या है? किस प्रवचन में किस प्रश्न का उत्तर है? इसे संक्षिप्त रूप में जानने के लिए 👉यहाँ दवाएँ।
महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर |
सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज की पुस्तकें मुफ्त में पाने के लिए शर्तों के बारे में जानने के लिए. 👉 यहां दवाए।
---×---
S01, 1. संतों की दृष्टि में ईश्वर कैसा है || ईश्वर कैसा है? What is God like?
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
5/20/2024
Rating:
कोई टिप्पणी नहीं:
प्रभु-प्रेमी पाठको ! ईश्वर प्राप्ति के संबंध में ही चर्चा करते हुए कुछ टिप्पणी भेजें। श्रीमद्भगवद्गीता पर बहुत सारी भ्रांतियां हैं ।उन सभी पर चर्चा किया जा सकता है।
प्लीज नोट इंटर इन कमेंट बॉक्स स्मैम लिंक