S209(ग) 6. इन्द्रियाँ काबू में कैसे आती हैं? How to conquer the senses - SatsangdhyanGeeta

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S209(ग) 6. इन्द्रियाँ काबू में कैसे आती हैं? How to conquer the senses

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6. इन्द्रियाँ काबू में कैसे आती हैं?

धर्मानुरागिनी प्यारी जनता !

महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर 209 ग
महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर 209 ग

"कबीर साहब ने कहा है-
बंद कर दृष्टि को फेरि अंदर करै, घट का पाट गुरुदेव खोलै। 

तथा-

नैनों   की  करि  कोठरी, पुतली  पलंग   बिछाय । 
पलकों की चिक डारिके, पिय को लिया रिझाय ।।

     यह सुगम साधन है। दृष्टियोग से एकविन्दुता होती है। एकविन्दुता से पूर्ण सिमटाव होता है और तब प्रत्यक्ष होता है- 'उलटि देखो घट में जोति पसार।' और बाबा नानक ने कहा- 'अंतरि जोति भइ गुरु साखी चीने राम करंमा।' यह जो साधन करता है, इन्द्रियाँ काबू में आती हैं। एकविन्दुता होती है। केन्द्र में केन्द्रित होता है। वहाँ का रस साधक को बाह्य विषय रस से विशेष मनोहारी हो जाता है। बाह्य विषय रस कम हो जाता है। इसी तरह दमशील होना होता है। इन्द्रियों को विचार से भी रोको और साधन भी करो। केवल विचार से गिर भी सकता है।"


    प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसी महाराज का यह प्रवचन मुरादाबाद स्थित श्रीसंतमत सत्संग मंदिर कानून गोयान मुहल्ले में दिनांक १२.४.१९६५ ई० को अपराह्नकालीन सत्संग में हुआ था।  जिसमें उन्होंने उपरोक्त बातें कहा था। महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर के सभी प्रवचनों में कहाँ क्या है? किस प्रवचन में किस प्रश्न का उत्तर है? इसे संक्षिप्त रूप में जानने के लिए  👉यहाँ दवाएँ। 



सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के विविध विषयों पर विभिन्न स्थानों में दिए गए प्रवचनों का संग्रहनीय ग्रंथ महर्षि मेंहीं सत्संग-सुधा सागर
महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर
     प्रभु प्रेमियों ! उपरोक्त प्रवचनांश  'महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर"' से ली गई है। अगर आप इस पुस्तक से महान संत सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस  जी महाराज के  अन्य प्रवचनों के बारे में जानना चाहते हैं या इस पुस्तक के बारे में विशेष रूप से जानना चाहते हैं तो    👉 यहां दबाएं।

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S209(ग) 6. इन्द्रियाँ काबू में कैसे आती हैं? How to conquer the senses S209(ग)  6. इन्द्रियाँ काबू में कैसे आती हैं?  How to conquer the senses Reviewed by सत्संग ध्यान on 5/15/2024 Rating: 5

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