9. आठवीं भक्ति और नवीं भक्ति क्या है?
धर्मानुरागिनी प्यारी जनता !
"जो लाभ हो, उसी में संतोष करना और स्वप्न में भी दूसरे के दोष को न देखना, आठवीं भक्ति है। नवीं भक्ति सबसे सीधा तथा अकपट रहना और हृदय में न हर्ष और न दीनता लाकर मेरा (राम) भरोसा रखना है। ऊपर वर्णित सात भक्तियों में पूर्णता पाने पर ये आठवीं और नवीं; दोनों भक्तियाँ आप ही आप सध जाती हैं।
यह संतों का मार्ग है, इस पर चलो। सत्संग करो, गुरु खोजो और भजन करो तो कृतार्थ हो जाओगे। एक जन्म में नहीं, तो कई जन्मों में। यह बीज ऐसा है कि मुक्ति दिलाकर ही छोड़ेगा।"
प्रभु प्रेमियों ! सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंसी महाराज का यह प्रवचन मुरादाबाद स्थित श्रीसंतमत सत्संग मंदिर कानून गोयान मुहल्ले में दिनांक १२.४.१९६५ ई० को अपराह्नकालीन सत्संग में हुआ था। जिसमें उन्होंने उपरोक्त बातें कहा था। महर्षि मेँहीँ सत्संग सुधा सागर के सभी प्रवचनों में कहाँ क्या है? किस प्रवचन में किस प्रश्न का उत्तर है? इसे संक्षिप्त रूप में जानने के लिए 👉यहाँ दवाएँ।
महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर |
प्रभु प्रेमियों ! उपरोक्त प्रवचनांश 'महर्षि मेँहीँ सत्संग-सुधा सागर"' से ली गई है। अगर आप इस पुस्तक से महान संत सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज के अन्य प्रवचनों के बारे में जानना चाहते हैं या इस पुस्तक के बारे में विशेष रूप से जानना चाहते हैं तो 👉 यहां दबाएं।
सद्गुरु महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज की पुस्तकें मुफ्त में पाने के लिए शर्तों के बारे में जानने के लिए. 👉 यहाँ दवाए।
--×--
S209(ग) 9. आठवीं भक्ति और नवीं भक्ति क्या है? नौ भक्ति कौन कौन सी है? What are the nine devotions?
Reviewed by सत्संग ध्यान
on
5/16/2024
Rating:
कोई टिप्पणी नहीं:
प्रभु-प्रेमी पाठको ! ईश्वर प्राप्ति के संबंध में ही चर्चा करते हुए कुछ टिप्पणी भेजें। श्रीमद्भगवद्गीता पर बहुत सारी भ्रांतियां हैं ।उन सभी पर चर्चा किया जा सकता है।
प्लीज नोट इंटर इन कमेंट बॉक्स स्मैम लिंक